भिखारी को भीख देने पर होगी कार्रवाई, इंदौर कलेक्टर का आदेश

इंदौर होगा भिखारी मुक्त, अब भिखारी को भीख देने पर होगी कार्यवाही

Dec 17, 2024 - 18:02
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भिखारी को भीख देने पर होगी कार्रवाई, इंदौर कलेक्टर का आदेश

इंदौर:- देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर को अब भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। नए साल 2025 से शहर में भीख मांगने के साथ-साथ भीख देने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने इस अभियान को तीन चरणों में विभाजित किया है, जिसमें तीसरा और आखिरी चरण जनवरी से शुरू होगा।

अभियान की शुरुआत

कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर फरवरी 2024 से अभियान का पहला चरण शुरू हुआ था। इस दौरान भिक्षावृत्ति करने वालों और उनके परिवारों को भीख न मांगने की समझाइश दी गई। इसके बाद सितंबर से दिसंबर तक अभियान के दूसरे चरण में भिक्षुकों का रेस्क्यू किया गया।

अब नए साल से अभियान के तीसरे चरण में भीख देने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का मानना है कि भीख देने की प्रवृत्ति ही भिक्षावृत्ति को बढ़ावा देती है, इसलिए इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

300 से अधिक बुजुर्ग और व्यस्क भिक्षुकों को रेस्क्यू कर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा गया। 34 बाल भिक्षुकों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। सात विभागों की टीमें शहर में लगातार सतत कार्रवाई कर रही हैं।

राष्ट्रीय पायलट प्रोजेक्ट

गौरतलब है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है। इस प्रोजेक्ट के तहत शहर में भिक्षावृत्ति के उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

इंदौर, जिसे मां अहिल्या की नगरी कहा जाता है, स्वच्छता के मामले में लगातार देश के नंबर एक शहर का खिताब जीत रहा है। अब शहर को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में यह अभियान न केवल इंदौर की छवि को और निखारेगा बल्कि भिक्षावृत्ति की समस्या को जड़ से समाप्त करने में मदद करेगा।

क्या है नया नियम? 

1 जनवरी 2025 से यदि कोई व्यक्ति शहर में भीख देता पाया गया, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का कहना है कि यह नियम भिक्षावृत्ति को हतोत्साहित करने के लिए लागू किया जा रहा है।

इंदौर प्रशासन का उद्देश्य है कि शहर पूरी तरह भिखारी मुक्त हो और भिक्षावृत्ति में शामिल लोगों को पुनर्वास की सुविधा प्रदान की जाए। इसके लिए समाज कल्याण विभाग सहित सात विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। इंदौरवासियों और पर्यटकों से अपील की जाती है कि भिक्षावृत्ति को रोकने में प्रशासन का सहयोग करें और किसी भी जरूरतमंद को भिक्षा देने की बजाय पुनर्वास योजनाओं की जानकारी दें।

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