खरगोन के दो हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार, निमाड़ी भाषा और महिला बुनकरों के उत्थान को सम्मान

खरगोन:- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 के लिए घोषित पद्म पुरस्कारों में खरगोन जिले के दो व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया है। गोगांवा के साहित्यकार जगदीश जोशीला को साहित्य के क्षेत्र में और महेश्वर की शैली होल्कर को महिला बुनकरों के उत्थान के लिए पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
निमाड़ी साहित्य को मिला राष्ट्रीय सम्मान
जगदीश जोशीला, जो निमाड़ी भाषा को पहचान दिलाने के लिए लंबे समय से संघर्षरत हैं, को पद्मश्री से नवाजे जाने पर गोगांवा और पूरे निमाड़ क्षेत्र में खुशी का माहौल है। 76 वर्षीय जोशीला ने निमाड़ी भाषा में 28 पुस्तकें और हिंदी में 28 अन्य पुस्तकें (10 उपन्यास सहित) लिखी हैं। उन्होंने निमाड़ी व्याकरण और शब्दकोश भी तैयार किया है।
उनकी प्रमुख रचनाओं में संत सिंगाजी पर 778 पन्नों का शोध उपन्यास, अहिल्या माता पर दो भागों में लिखा गया उपन्यास और जननायक टंट्या मामा एवं आदि शंकराचार्य पर आधारित उपन्यास शामिल हैं। पद्मश्री की घोषणा के बाद जोशीला ने इसे निमाड़ी और निमाड़ क्षेत्र का सम्मान बताया।
महेश्वर की शैली होल्कर को महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण और बुनकरी में उनके उत्थान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने महेश्वर के पारंपरिक हैंडलूम और बुनकरी कला को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी पहल से न केवल सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिला, बल्कि महेश्वरी साड़ी को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली।
निमाड़ क्षेत्र में हर्ष का माहौल
पद्मश्री की घोषणा के बाद गोगांवा स्थित जगदीश जोशीला के निवास पर देर रात तक बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। परिजनों और ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार का आभार व्यक्त किया। इस उपलब्धि को निमाड़ी भाषा और निमाड़ अंचल के लिए एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।
यह पहली बार है जब निमाड़ी भाषा और साहित्य के लिए पद्म पुरस्कार दिया गया है। इस सम्मान ने साहित्य जगत और निमाड़ी प्रेमियों के हृदय में विशेष उत्साह भर दिया है।
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