सेगांव: कड़ाके की गर्मी में भी लोग ले रहे कथा का आनंद

सेगांव:- भवसागर को पास गुरु ही लगा सकता है।बगैर सदगुरु के भवसागर पार करना असम्भव है। मनुष्य को जिवन मे अन्तर चेतना जगाने के लिए संतो की वाणी सुनना जरूरी है। उक्त उद्गगार समीप ग्राम रसगांव में चौधरी परिवार द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्री संत सिंगाजी परचरी पुराण कथा के तिसरे दिवस कथा वाचक रमेश जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने ने बताया कि श्री संत सिंगाजी ने भी अपने गुरु की वाणी सुनकर उन्होंने अपना जिवन गुरु के चरणो मे समर्पित किया था। जिससे व नर से नारायण की और अग्रसर हुए।
सद्गुरु दीनदयाल जगत के तारणहार है जो भी उनकी शरण में जाऐगा उसका पार लगना तय है। गुरु की शरण में धुव्र भक्त पहलाद का भी उद्धार हुआ था। इसलिए जिवन मे आए हो तो प्रभु नाम का सुमिरन कर लो यह मनुष्य जिवन बार बार नहीं मिलता है। महाराज श्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है कि तु कर्म करते जा यह अवसर दुर्लभ है जो संसार में मानव शरीर को ही मिलता है। सुंदरता जरुर ईश्वर के पास है लेकिन व्यवस्था व साधन केवल मनुष्य के पास है। भगवान की देह चांदी व मनुष्य की देह लोहे के समान है।
लेकिन मनुष्य के पास भक्ति रुपी पारस है। जिससे व लोहे को सोना बना सकता है। वह नर से नारायण भी बन सकता है। इसलिए भक्ति को महत्व दें।हमें यह जिवन भगवान की कृपा से मिला है। लेकिन इसे पार लगाने के एक सदगुरु की आवश्यकता है। अगर नाव है और केवट नहीं होगा तो नदी पार असंभव है। इसलिए हमें केवट के रुप में सच्चे सदगुरु की भी आवश्यकता है।
कथा में भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष मुकेश पटेल ने भी पहूंचकर महाराज श्री का पुष्पहारों से स्वागत किया।
परचरी पुराण कथा में रसगांव सहीत आसपास के गांवों के ग्रामीणजन भी तपती 45 पार गर्मी में भी कथा का रसपान कर रहे हैं। कथा के दौरान मधुर भजनों पर महिलाएं नृत्य भी कर रही है।
What's Your Reaction?






