जीएसटी ट्रिब्यूनल में सिर्फ अंग्रेज़ी क्यों? कर सलाहकार बी.एल. जैन ने हिंदी में अपील की अनुमति की उठाई मांग

May 27, 2025 - 22:29
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जीएसटी ट्रिब्यूनल में सिर्फ अंग्रेज़ी क्यों? कर सलाहकार बी.एल. जैन ने हिंदी में अपील की अनुमति की उठाई मांग

सेंधवा:- केंद्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई है, लेकिन इसके लिए सभी दस्तावेज केवल अंग्रेजी में प्रस्तुत करने की अनिवार्यता तय की गई है। वरिष्ठ कर सलाहकार एवं अधिवक्ता बी.एल. जैन ने इसे आम करदाताओं के हितों के खिलाफ और प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध बताया है।

श्री जैन ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय वित्त मंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजते हुए मांग की है कि अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए और हिंदी में भी अपील प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि हिंदी न केवल भारत की राजभाषा है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी और अंग्रेजी दोनों संघ की आधिकारिक भाषाएं हैं।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में बड़ी संख्या में कर सलाहकार और व्यापारी वर्ग अंग्रेजी में दक्ष नहीं हैं। ऐसे में ट्रिब्यूनल में केवल अंग्रेजी भाषा में अपील की बाध्यता से वे न्याय से वंचित रह सकते हैं।

श्री जैन ने यह भी बताया कि वर्तमान में उच्च न्यायालय, आयकर ट्रिब्यूनल और म.प्र. वाणिज्यिक कर अपील बोर्ड में भी अपील हिंदी में प्रस्तुत की जा सकती है। आयकर अधिनियम की धारा 255(5) के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में आयकर ट्रिब्यूनल में हिंदी भाषा के उपयोग की अनुमति है। फिर जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल में ऐसा क्यों नहीं?

उन्होंने यह भी चिंता जताई कि दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद करवाना महंगा साबित होगा और छोटे शहरों में अनुवादकों की अनुपलब्धता से करदाता को अनावश्यक परेशानी और अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। अनुवाद में त्रुटि होने पर न्याय से वंचित रहने की भी आशंका है।

श्री जैन ने कहा कि भारत सरकार द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने के सतत प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे में अपीलेट ट्रिब्यूनल में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता इन प्रयासों की मंशा के विपरीत है। उन्होंने न्याय हित में मांग की है कि एक संशोधित अधिसूचना जारी कर हिंदी में भी अपील प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए।

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