मध्यप्रदेश में कोरोना के केस फिर बढ़ने लगे सरकार की लापरवाही पर सवाल

मध्यप्रदेश में एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अकेले इंदौर में 92 सक्रिय संक्रमित मरीज मिले हैं। पूरे प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या 150 से ज्यादा हो चुकी है। अब तक इस लहर में 3 मरीजों की मौत भी हो चुकी है।
लेकिन हैरानी की बात ये है कि प्रदेश की भाजपा सरकार अब भी गंभीर नजर नहीं आ रही है। न तो आरटी-पीसीआर टेस्ट हो रहे हैं और न ही मेडिकल कॉलेजों की वायरोलॉजी लैब में जांच का काम चालू है। करोड़ों की लागत से खरीदी गई मशीनें धूल खा रही हैं। लैब स्टाफ को हटा दिया गया है और अब जांच बंद होने के कारण सही आंकड़े तक सामने नहीं आ पा रहे हैं।
बड़े सवाल उठ रहे हैं:
क्या सरकार आंकड़े छिपा रही है?
क्या कोरोना की वापसी का सरकार स्वागत कर रही है?
क्या फिर सैकड़ों जाने जाने का इंतजार है?
जिस समय कोरोना महामारी ने देश को झकझोर दिया था, तब स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सेवाएं दी थीं। लेकिन अब उन्हें "बजट की कमी" बताकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
सरकार से मांग:
सभी वायरोलॉजी लैब तत्काल शुरू की जाएं।
आरटी-पीसीआर जांच हर जिले में अनिवार्य की जाए।
हटाए गए स्वास्थ्यकर्मियों को फिर से बहाल किया जाए और स्थायी नियुक्ति दी जाए।
कोरोना की पिछली लहर ने पहले ही सैकड़ों जिंदगियां छीनी हैं। अब फिर संक्रमण बढ़ रहा है। अगर सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते सख्ती नहीं बरती, तो हालात एक बार फिर गंभीर हो सकते हैं।
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